दशरथ

  • 3k
  • 900

दशरथ “मैं अपना नाम बदलूँगा|” मैंने माँ से कहा| अगले दिन मुझे अपना हाईस्कूल का फॉर्म भरना था और मेरे अध्यापकगण ने मुझे बताया था कि जो भी नाम और जन्मतिथि उस फॉर्म में दर्ज करूँगा फिर ज़िन्दगी भर उन दोनों को मुझे अपने साथ रखना होगा| “क्यों?” माँ ने पूछा| “अपने हेमन्त के साथ मुझे रंजन नहीं चाहिए|” “तो क्या शांडिल्य चाहिए?” शांडिल्य माँ के पिता का जातिनाम था, जिसे उन्होंने अभी भी अपने साथ रखा हुआ था| तीस साल पहले जब मेरे नानाजी की मृत्यु हुई थी, तब बी.एस-सी. के तीसरे साल में पढ़ रही मेरी माँ को