प्रोस्तोर --एक नया प्रयोग

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प्रोस्तोर उपन्यास एक नया प्रयोग यु हिंदी में उपन्यास लेखन की परम्परा बहुत पुराणी नहीं है,मुश्किल से डेढ़ सौ साल पुराणी.कम ही उपन्यास लिखे जाते हैं,फिर आजकल पढने का समय किसके पास है?कुछ बरस पहले पश्चिम में उपन्यास के मरने की घोषणा की गयी थी मगर यह भविष्यवाणी गलत सिद्ध हुई. उपन्यास नहीं मरा बल्कि ज्यादा शिद्दत से लिखा जा रहा है,पढ़ा जा रहा है. इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक में तकनीक ने जीवन के सभी क्षेत्रों पर भयंकर हमला किया.तकनीक के नए नए आयाम आये ,साहित्य भी अछूता न रहा.नए नए लेखक तकनीक से लेस होकर मैदान-ए- जंग में