डॉग शो चन्द्ररूपिणी को उसके माता-पिता के साथ उसके नाना हमारे घर लाए थे सन् १९६८ में हमारी छत के एकल कमरे में उन्हें ठहराने हमारे दादा और उसके नाना एक ही राजनैतिक पार्टी के सदस्य थे और अच्छे मित्र भी हमारे दादा उन दिनों सन् सड़सठ की लोकसभा के निर्वाचित सदस्य थे और उसके नाना हमारे प्रदेश की विधान-सभा के मनोनीत सदस्य “मेरी यह इकलौती बेटी मेरी दूसरी पत्नी की सौतेली है और ऊपर से रुग्णा भी,” चन्द्ररूपिणी के नाना ने ब्यौरा दिया था, “अपने जीते-जी अपनी पत्नी के हाथों बेटी की दुर्गति मुझ से देखे नहीं बनती.....” चन्द्ररूपिणी