बागी आत्मा 11 ग्यारह माधव ने जब से आशा को विदा किया था । गरीबों को सताना छोड दिया था। वह सोचनं लगा-‘ बे-मतलब गरीबों को परेशान भी क्यों किया जाये। उन पर रखा क्या है ? जो उन्हें कश्ट दिया जाये। माधव ने अपने दल के सिद्धान्त बदल डाले थे। गनीमत यह कि माधव की बातों से दल के सभी लोग सहमत हो गये थे। बडे़-बडे़ सेठ साहूकारों के दरवाजों पर दस्तकें दी जाने लगीं। गरीबों में यह बात तेजी से फैलती जा रही थी कि माधव गरीबों को नहीं सताता। गरीब और मध्यम वर्ग के