सीमा पार के कैदी - 10

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सीमा पार के कैदी-10 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0) 10 रात गहरा रही थी। अजय और अभय चुपचाप पटेल की ढाणी से निकलकर उस दिशा में चले जा रहे थे, जिधर कुछ देर पहले काफिला गया था। कुछ दूर चलकर ही रोशनी दिखी। निकट पहुंचकर देखा ठीक वैसे ही दस बारह तम्बू तने थे, जैसे आते वक्त इन्होंने डाकुओं के देखें थे। कुछ देर छिपे रहकर देखने पर पता चला कि केवल एक सैनिक बाहर था, बांकी सैनिक एक बड़े से तम्बू के अंदर थे। उस डेरे के