सीमा पार के कैदी 9 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे दतिया (म0प्र0 9 सुबह जब अजय और अभय दोनों उठे तो उन्होंने पाया कि विक्रांत टेबल पर उनके लिए कागज की एक पर्ची लगाकर चला गया था। पर्ची उठा कर अजय गौर से पढने लगा- एक्स व वाय मुझे ज्ञात हो गया है कि तुम दोनों अपने काम में सफल हो गये हो। तुम्हारा काम अब समाप्त। तुरंत प्रस्थान करो। मैं नहीं चल पाऊँगा। आशा है, अपनी सुरक्षा का ध्यान रखोगें। दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा। यानि अब भारत लौटना