ज्योतिष, कुंडली, ग्रहों और कर्मों का प्रभाव हमारा जीवन हमारे कर्म के साथ ही हमारी कुण्डली, भाग्य की रेखाओं, नक्षत्रों और गृह-दशाओं पर भी निर्भर करता है, कि हम जीवन में कितनी उन्नति कर पाते हैं। ये हमारी प्रकृति और हमारी प्रवृत्तियों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रखते हैं। इस संबंध में प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य, भुवन विजय पंचांग के संपादक इंजीनियरिंग स्नातक पंडित रोहित दुबे के अनुसार- ‘ग्रहाधीनं जगत्सर्वं ग्रहाधीना नरावरा, कालज्ञानं ग्रहाधीनं ग्रहा कार्य फल प्रदाः।’’ अर्थात यह समस्त संसार ग्रहों के आधीन है और मानव भी ग्रहों के आधीन है। कर्म का फल, पुरूषार्थ का फल, व्यापार