बात बस इतनी सी थी - 22

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बात बस इतनी सी थी 22. घरेलू हिंसा के तहत चल रहा हमारा केस दोनों को साद-साथ रहकर एक-दूसरे को समझने की नसीहत देकर कुछ महीने के लिए फाइलों में दबकर बन्द हो गया था । सामने वाले की शर्तों पर उसके साथ सामंजस्य करके जीना हम दोनों में से किसी के भी स्वभाव में शामिल नहीं था । इसलिए हम दोनों के साथ-साथ रहने की संभावना तो बहुत पहले ही खत्म हो चुकी थी । फिर भी, कोर्ट की नसीहत को मानते हुए यदि हम दोनों साथ-साथ रहने की कोई गुंजाइश तलाशने की कोशिश भी करते, तो रही-सही वह