बागी आत्मा 9

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बागी आत्मा 9 नौ जंगलों के ये लोग दिन में आराम करते हैं और रात सैर-सपाटे, लूट-खसोट में गुजारते हैं। इनकी रात अमानवीय कृत्य करने के लिए, जश्न मनाने के लिए देवी-देवताओं की पूजा करने के लिए रहती है। जंगल की शरण पाने वाल,े इन्हीं सब बातों में अपना गौरव अनुभव करते हैं। यहां के वातावरण में सूनापन होता है। इसमें भी लोग मौज करते हैं। किसी के बच्चे किसी की पत्नी, संयोगवश मिलने आ जाती हैं। तो उनके ठहरने के लिए जंगलों से घिरे गावों की शरण लेना पड़ती है। कभी-कभी ठहरने की व्यवस्था तम्बू