(एक जुड़वा कहानी.) वो लोग : ये लोग — मुकेष वर्मा. वे लोग मेरे पिता शहर की सहकारी पेढ़ी के हैड मुनीम थे। सब लोग उन्हें हैड साब कहकर पुकारते। अमूमन पुलिस के सिपाहियों को इस नाम से जाना जाता जिसमें जितना कम गौरव प्रगट में था, उससे कई गुना ज़्यादा तिरस्कार और उपहास भीतर शामिल था, लेकिन पिता के लिए यह भाव नहीं था, सुनकर वे जरा सा लजाते, हँसते, हाथ नचाते मना जैसा कुछ करते, कुछ इन्कार और कुछ इकरार के बीच डगमग मुस्कुराते। इस हँसी के बीच उनकी सांवली छोटी नाक रह—रह कर चमकती। लोगों के साथ