नरोत्तमदास पाण्डेय ‘मधु’ की वैचारिकता

  • 5.2k
  • 1.7k

नरोत्तमदास पाण्डेय ‘मधु’ की वैचारिकता काव्य में भाव-तत्त्व के साथ ही विचार-तत्त्व का भी काव्य में बहुत महत्त्व है। जीवन में अनेक स्थितियों का प्रभाव केवल हार्दिक उद्धेलन के रूप में ही नहीं पड़ता है, बल्कि हम उनकी तीव्रता से प्रभावित होकर कुछ सोचने के लिये भी विवश हो जाते हैं। हमारी मानसिकता इस प्रकार उद्बुद्ध हो जाती है कि हम उन प्रश्नों का मनन और विमर्श करने लगते हैं। यह विचार-दर्शन भी काव्य का विधायक तत्व है। विचार व्यक्ति को मानसिक रूप से उद्धेलित करके उस पर स्थायी प्रभाव डालते हैं। विचार-दर्शन से अनुप्राणित काव्य में गहराई और