आवारा अदाकार विक्रम सिंह (5) उस पूरे दिन गुरूवंश मुँह लटकाये घूमता रहा। न किसी से बात कर रहा था न ही किसी से मिलजुल रहा था। वह अपने-आप को बेबस महसूस कर रहा था। हम सब तो यही सोचते रहे थे कि बबनी उसके बिना नहीं रह पाएगी। लेकिन घड़ी की सुई तो उल्टी घूम गई। दीवानगी अब जुनून में बदल गई थी और जुनून में वह विवके और होशोहवास दोनों गंवा बैठा था। वह अपनी नौकरी छोड़ कर दिन भर बबनी के घर के बाहर घूमता रहता और मौका पाते ही पीसीओ की तरफ भागता था। इसी तरह फोन