नीलिमा शर्मा :- हिन्दी साहित्य से आपका जुड़ाव कब और कैसे हुआ?प्रियदर्शन :-मैं ख़ुशक़िस्मत रहा कि घर में साहित्यिक माहौल मिला। मां भी लेखक रहीं, पिता भी। मां शैलप्रिया 1994 में कैंसर की वजह से गुजर गईं। लेकिन उसके पहले ही उनकी कविताओं की कई किताबें आ चुकी थीं। पापा विद्याभूषण अस्सी की उम्र में अब भी सक्रिय हैं और उनकी बीस से ज़्यादा किताबें हैं। घर पर मुझे हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण शास्त्रीय कृतियां मिल गईं। प्रेमचंद और जैनेंद्र के अलावा छायावादी कवियों सहित दिनकर आदि को मैंने बहुत बचपन में पढ़ा। वैसे पढ़ने की आदत मुझे भरपूर थी।