सपने - अवचेतन का प्रतिरूप

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सपने - अवचेतन का प्रतिरूप अरे, अरे ! यह क्या, लग तो अम्माँ जैसी रही हैं ।सूती साड़ी, माथे पर बड़ी बिंदी, बाल पीछे बाँधे हुए । हाँ, अम्माँ ही तो हैं । दौड़ कर जाकर उनसे लिपट गई । पूछा बाबूजी कहाँ हैं तो बोलीं," आ रहे हैं पीछे सामान निकलवा रहे हैं।" बाबूजी