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.*✍बहुत ही सुंदर कथा ?कोरा कागज?**ज्ञान सदैव झुककर* *प्राप्त किया जा सकता।**एक शिष्य गुरू के पास आया। गुरु से भी अधिक शिष्य प्रसिद्ध था व पंडित भी! गुरू से भी अधिक सारे शास्त्र उसे कंठस्थ थे। समस्या यह थी कि सभी शास्त्र कंठस्थ: होने के बाद भी वह सत्य की खोज नहीं: कर सका था। ऐसे में जीवन के अंतिम क्षणों में उसने गुरू की तलाश आरंभ की। संयोग से गुरू मिल गए। वह उनकी शरण में पहुंचा*।*गुरू ने पंडित की ओर देखा और कहा, 'तुम लिख लाओ कि तुम क्या-क्या जानते हो? तुम जो जानते हो, फिर उसकी क्या