विदाई

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अंतिम विदाई ...उसका मन आशंका से घिर गया। जैसे ही गली में कदम रखा उसे चाची के घर के सामने भीड़ दिखाई दी । वह चिन्ता में पड़ गई कि इतनी भीड़ किसलिए ? हठात् उसने सोचा कहीं सोनू ...। फिर अपने आप ही बड़बड़ा उठी ....नहीं ...नहीं । कल रात ऐक्सीडेंट की खबर मिली , और आज सुबह वह ट्रेन में बैठकर यहाँ आ गयी। उसने अपनी याद्दाश्त पर जोर डाला तो याद आया कि चाचा जी ने फोन पर यही कहा था -‘‘ चोट मामूली है , सोनू के जीवन को कोई खतरा नहीं हैं। ’’ फिर