छूना है आसमान - 10

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छूना है आसमान अध्याय 10 ‘‘बुरा मत मानिएगा अंकल, चेतना को इस तरह का फैसला लेने के लिए मजबूर आप लोगों ने ही किया है, क्योंकि आप जानते हैं बच्चा भावुक होता है, जरा-सी भी उपेक्षा मिलने पर उसका मनोबल टूट जाता है......और उनके मन में यह घर कर लेती है, कि वह बिल्कुल अकेला है, उसे कोई प्यार नहीं करता है......चेतना के साथ भी ऐसा ही हुआ है......उसकी उखड़ी-उखड़ी बातों से मुझे ऐसा लगता था, जैसे वह आप लोगों से नाराज रहने लगी हो......क्योंकि आप लोगों ने भी उसे एकदम अलग कर दिया था......बजाय उसका हौंसला बढ़ाने के उसकी