आवारा अदाकार - 2

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आवारा अदाकार विक्रम सिंह (2) सही मायने में वह सुबह में दिखती ही नहीं थी। क्योंकि वह सुबह देर से उठती थी। दरअसल वो सुबह से ही उसे तलाशने लगता था। हालत तो यह हो गई थी कि ठंड के मौसम में भी किताब लेकर छत पर हाजिर हो जाता। धूप सेंकते हुए किताब की हर चार लाइन पढने के बाद उसे बरांमदे में देखता अर्थात पाँचवी लाईन बरांमदा हो जातीा। हाँ, वह कई बार बरामंदे में आती भी। वो भी हल्के-फुल्के काम के लिए। जैसे कभी झूठे बर्तन बाहर रखने,कपड़े रखने इत्यादि। दरअसल उसके घर के बरामदे में एक छोटी सी पानी