बागी आत्मा 2 दो दस वर्ष पूर्व...... वही मकान वही जगह, जहाँ माधव ने अन्तिम साँस ली थी। माधव का पिता विस्तर पर पड़ा पड़ा कराह रहा है। उसके कराहने बातावरण दर्दभरा हो गया हैं। रात का सन्नाटा छाया हुआ है। उसे दम दिलासा देने वाला कोई नहीं है। माधव सोच में है कि वह अपने पिताजी की जान कैसे बचाये? पास में एक पैसा भी नहीं है जो कुछ था वह भी पिताजी की लम्बी बीमारी में स्वाह हो गया। चार माह से तो कोई दिन ऐसा नहीं गया जिस दिन बिना दवा के काम