फिर महकेगा जीवन

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उपहार सतीश ने बिस्तर पर लेटे - लेटे दीवार घड़ी पर नजर डाली सात बज गये थे । आज बिरजू नहीं आया वर्ना बर्तनों की आवाज आने लगती । सतीश अलसाये हुए बिस्तर पर ही लेटे रहे। चाय पीने की ललक मन में उठ रही थी । सर्दी ने हाथ पैर इस कदर जकड दिए कि वे हिल डुल भी नहीं पा रहे थे । रोज सुबह पाँच बजे उठकर दैनिक कार्यों से फारिग होते और साढे पाँच बजे जो घूमने जाते तो साढे छः तक लौटते। दस पन्द्रह मिनिट आराम से बैठते फिर बाबा रामदेव का योग करते। तब