आदमी का शिकार - 18 - अंतिम भाग

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मनकी और योका ने जश्न की व्यवस्था बहुत अच्छी की थी. देवता की मूर्ति के आगे युवक की लाश जंजीरों से बंधी खड़ी थी.मनकी लाश के आगे इस तरह नाच रही थी कि लोगों की नजरें एक पल से अधिक लाश को नहीं देखपारही थीं.आज उसने श्रृंगार भी विशेष रूप से किया था.जंगल की सारी खूबसूरती सिमटकर मनकी में समा गई थी. योका धनुष बाण लिए निशाना लगाने को तैयार खड़ा था.आँख लाश पर टिकी हुई थी.वह मनकी को बचाकर लाश की गर्दन उड़ाने का मौका देख रहा था. सरदार, तन्वी और देवता भाई के चेहरे से खुशी टपक