समाज के प्रति लेखक की जिम्मेदारी होती है - सुषमा मुनींद्र साक्षात्कार नीलिमा शर्मा

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नीलिमा :- सुषमा जी अधिकतर महिलायें अध्यापिका बनना चाहती हैं लेकिन आपने लेखक बनना कब कैसे चुना ? सुषमा मुनीन्द्र– मेरी पारिवारिक पृष्ठ?भूमि साहित्यिक – सांस्कृतिक नहीं है। मैं विज्ञान की विद्यार्थी रही हूँ। विचार तो क्याि मुझे आभास तक नहीं था रचनाकार बनूँगी। मुझे लगता है नियति निर्धारित करती है व्युक्ति को समाज में किस तरह स्थामपित होना है। मेरे सख्ती मिजाज न्याियाधीश बाबूजी अदालत की तरह घर में भी कठोर न्यापयाधीश होते थे। शैक्षणिक संस्थानन के अलावा अन्यरत्र आना-जाना दुर्लभ किये रहते। यह जरूर रहा पराग, नंदन, धर्मयुग, साप्ता हिक हिन्दु-स्ताभन, कल्यााण, अखण्डा ज्योंति आदि पत्रिकायें मँगाते थे। अध्यतयन