कुछ यादें फुरसत में

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क्या लिखू यार कुछ समझ नही आता, कल जो ख्वाब देखा था औ आज बिखरशा गया है... महफूज़ थी वो रात की सुबह जो तेरे इंतज़ार में कट रही थी..अब तो शुभह हो या शाम सब एक जैसा लगता है,,,सिर्फ तुम.....मेरे लिए मेरी दुनिया हो तुम...छू के जो गुज़ारे वो हवा हो तुम....मैंने जो मांगी है वो दुआ हो तुम.. किया मेने मह्सुश वो एहसास हो तुम...मेरी नज़र की तलाश हो तुम.. मेरी ज़िन्दगी का इकरार हो तुम..मेरे इंतज़ार की रहत हो तुम..मेरे दिल की चाहत हो तुम...तुम हो तो दुनिया है मेरी...कैसे? कहूँ तुम सिर्फ तुम नहीं मेरी दुनिया हो तुम...