कर्म पथ पर - 82 - अंतिम भाग

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कर्म पथ पर Chapter 82माधुरी ने दरवाज़ा खटखटाया।‌ एक लड़की ने दरवाज़ा खोला। इस समय माधुरी को एक अंजान आदमी के साथ देख कर उसे आश्चर्य हुआ। माधुरी ने कहा,"फुलवा यह मेरे भाई हैं। इनके चाय पानी का प्रबंध करो।"माधुरी जय को अंदर ले गई। आंगन पार कर के पीछे की तरफ एक कमरा था। उस कमरे को खोल कर जय से बोली,"चाचा जी का देहांत चार महीने पहले हो गया। वह यहीं रहते थे। अपना बंगला धन