ये कैसी राह - 10

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अपनी किलकारियों से अरविंद जी के घर को गुंजायमान करता हुआ अनमोल समय के साथ बड़ा होने लगा । अपने नन्हे नन्हे पांवों से जब वो चलना शुरू किया तो उसकी सुन्दर छवि सब को मोहित कर लेती । दादी का जी भी अब गांव में नहीं लगता था। वो यहां अनमोल की नटखट शरारतों का आनंद लेने आ गई थी।अनमोल को उठते गिरते देख कर अनायास ही उनके मुख से निकल जाता ' ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनियां। पूरे घर का केंद्र बिंदु अनमोल हीं था । हनी और मनी तो मां से भी ज्यादा अनमोल की देखभाल करने की कोशिश करती । परी छोटी थी पर वो भी अपनी गुड़िय खिलौने आदि अपने भाई पर न्योछावर करने में जरा भी संकोच नहीं करती ।