गीदड़-गश्त

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गीदड़-गश्त किस ने बताया था मुझे गीदड़, सियार, लोमड़ी और भेड़िये एक ही जाति के जीव जरूर हैं मगर उनमें गीदड़ की विशेषता यह है कि वह पुराने शहरों के जर्जर, परित्यक्त खंडहरों में विचरते रहते हैं? तो क्या मैं भी कोई गीदड़ हूँ जो मेरा चित्त पुराने, परित्यक्त उस कस्बापुर में जा विचरता है जिसे चालीस साल पहले मैं पीछे छोड़ आया था, इधर वैनकूवर में बस जाने हेतु स्थायी रूप से? क्यों उस कस्बापुर की हवा आज भी मेरे कानों में कुन्ती की आवाज आन बजाती है, ‘दस्तखत कहाँ करने हैं?’ और क्यों उस आवाज के साथ अनेक