भाग 6/14: ग्यारह बीस की बस“अरे वाह बड़े-बाबू, दस साल में तो याद न आई....आज हमने बात करा दी तो हम पर ही नाराज़गी....”मंदार चुटकी लेटे हुए बोला|थोड़ी देर न जाने मोबाइल में क्या ढूढ़ता रहा फिर एक कागज़ पर एक नम्बर नोट करने के बाद मंदार ने अपना ग्लास उठाया और सिगरेट जला कर बाहर गैलरी में चला गया|उधर दिवाकर पुरानी यादों में खोए रहे, न खाने की सुध थी न पीने की...जलती सिगरेट वैसी की वैसी राख में तब्दील हो गई....शराब का नशा ज़ोरों पर था और प्यार का नशा उससे कहीं ऊपर|दस-पंद्रह मिनट बाद मंदार सिगरेट बुझाता