आदमी का शिकार - 14

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"नुप्पू, सुरंग तो ढे़र लम्बी निकली."मनकी ने नूपर को बताया. "कितनी लम्बी?"नूपर ने पूँछा."बहुत लम्बी. एकदम जंगल में जाकर खुली.""तुम मुझे वहां ले चलो.""चलो.""मैं भी तुम्हारे साथ चलूं?"योका ने नूपर से पूँछा."नहीं ,तुम अभी आराम करो.हम दोनों जा रहे हैं."नूपर ने कहा."मनकी ध्यान से जाना.'योका ने हिदायत दी."तुम बेफिक्र रहो."कहते हुए मनकी नूपर को लेकर चल दी."मनकी ,तुमने अपने बापू से सुरंग के बारे में तो नहीं पूँछा.""नहीं, हां,मानव धड़ के बारे में पूँछा था.""क्या बताया?"नूपर उसके पास आते हुए बोली."यही कि देवता गायब कर देती है.""मनकी ,तुम्हें विश्वास है कि देवता गायब कर देता है.?""सुरंग को देखकर तो