छूना है आसमान - 7

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छूना है आसमान अध्याय 7 रात के करीब दस बज रहे थे। चेतना ने देखा उसके पापा अकेले बैठे लैम्प की रोषनी में अपने आॅफिस का काम कर रहे हैं। चेतना ने सोचा मौका अच्छा है, क्यों न पापा को आॅडिषन का फार्म दे दूँ। बस फिर क्या था चेतना जल्दी से अपने कमरे में गयी और फार्म लेकर अपने पापा के सामने मेज पर रख दिया। फार्म देखकर चेतना के पापा ने कहा, ‘‘यह क्या है......?’’ ‘‘पापा, यह आपका वो सपना है, जिसे देखकर आप खुषी से फूले नहीं समायेंगे।’’ चेतना ने खुष होते हुए कहा। ‘‘अच्छा, देखूं तो