दास्तानगो प्रियंवद २ राजाओं, नवाबों, सामंतों के ब्राह्मण मुंशी या दीवान उनकी जागीरों की आमदनी और खर्च का हिसाब किताब भी रखते थे। वे इन जागीरों की देखभाल या तो ठीक से कर नहीं पाते थे या पिफर उसकी आमदनी और हिसाब को जानबूझ कर धुंधला बनाए रखते थे जिससे कि उसका एक बड़ा हिस्सा उनके पास भी आ सके। यह न हो तब भी, रिआया से पैसे की वसूली एक कठिन काम था। इसके लिए क्रूरता, निर्ममता के साथ कुशलता और योग्यता भी चाहिए थी, जो इन निकम्मे और पुराने पड़ चुके मुंशियों के पास नहीं थी। उनके पास