बात बस इतनी सी थी - 12

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बात बस इतनी सी थी 12. माता जी और मंजरी को लेकर सोचते-सोचते मेरी नजर एक बार फिर खाने की प्लेट से जा टकराई । मैंने मंजरी से कहा - "यह खाना कब तक यूँ ही रखा रहेगा, खा क्यों नहीं लेती हो ?" "भूख नहीं है मुझे !" "भूख नहीं है, तो बनाया क्यों था ?" "तुम्हें भूख लगी होगी, इसलिए बनाया था !" मंजरी का जवाब सुनकर मैं चादर ओढ़कर लेट गया और घर की कलह को बढ़ने से रोकने का कुछ उपाय सोचने लगा । मैं नहीं चाहता था, मेरी माता जी और मंजरी दोनों एक ही