वापसी.

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वापसी अभी सूरज देवता प्रकट भी नहीं हुए थे के पूरा घर ॐकार के दिव्य स्वर से निनादित होने लगा था इस घर की भोर ऐसी ही सुरीली होती है बाहर पंछियों का मधुर कलरव और घर में गंभीर मधुर ओजस्वी ॐ की गूँज ये स्वर है पंडित दीना नाथ शुक्ल जी का जिन्हें आदर और प्यार से लोग पंडित जी कहते हैं पंडित जी बीस बीसुआ कान्य्कुब्ज ब्राह्मण हैं बड़े धर्म कर्म नियम के पाबंद आजीवन नियम से ही चले वे दिनकर शायद विलंब कर दे परंतु पंडित जी चार बजे बिस्तर छोड़ कर नियमित क्रिया कलापो में व्यस्त