आवरण

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आवरण राजा सिंह विशेष सोच रहा हैं। आने का सम्भावित समय निकल गया हैं।.........अब तो सात भी बज चुके हैं। शंका-कुशंका डेरा डालने लगी थीं।.........अणिमा अब तक निश्चय ही आ जाती हैं । फिर आज क्या हुआ ? अनहोनी की आशंका से वह ग्रस्त होता जा रहा है।......... एक नजर किटटू पर जाती है और फिर दूसरी नजर बेबी पर आकर ठहर जाती हैं।.......... अगले ही पल उसकी निगाह घड़ी की टिक-टिक पर स्थिर हो जाती और वहाॅ से उसके कान टिक-टिक से इतर कुछ और सुनने को तत्पर होते हैं, शायद काल बेल की आवाज या दरवाजे की ठक-ठक।......ऐसा