एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (6) पूरे बरस पशुओं ने गुलामों की तरह काम किया। लेकिन वे अपने काम में खुश थे। वे किसी मेहनत या त्याग से भुनभुनाए नहीं। उन्हें अच्छी तरह से पता था कि वे जो कुछ भी कर रहे हैं, खुद के लिए और अपनी ही तरह की आने वाली पीढ़ियों के लिए कर रहे हैं। उनकी मेहनत निठल्ले उचक्के आदमी लोगों के लिए तो नहीं ही है। पूरे वसंत और गर्मियों के दौरान वे रोजाना दस-दस घंटे तक काम करते रहे। अगस्त में नेपोलियन ने घोषणा की कि अब से रविवार की दोपहरों