बड़े बाबू का प्यार - भाग 4 14: तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई..... शिकवा, तो नहीं....

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भाग 4/14: तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई..... शिकवा, तो नहीं....“बड़े-बाबू? क्या बात है.....आज से पहले तो कभी नहीं.....” मंदार अचम्भे में बोला, फिर जेब से सिगरेट का पैकेट निकाल एक सिगरेट उसने दिवाकर की ओर बढ़ा दी|दिवाकर ने ग्लास खाली की और ग्लास मेज़ पर रख सिगरेट जलाते हुए बोले, “बनाओ अगला....आज तो फिर वही दिन जीने को दिल कर रहा है....वैसे थैंक्स मंदार....तुम न होते तो शायद ये यादों का पिटारा कभी खुलता ही नहीं|”मंदार ने झट अपनी सिगरेट जलाई और सिगरेट मुहं में रखते हुए दोनों की ग्लास तैयार करने लगा|“फिर क्या मंजन मिला?..... बड़े-बाबू....” मंदार चुटकी लेते