बड़े बाबू का प्यार - भाग 3 14: गम का साथी रम...

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भाग 3/14: गम का साथी रम...कमरे में पहुँचते-पहुँचते मंदार भी अपना ग्लास खाली कर चुका था, अभी मामला बराबरी पर था, तीन –तीन|उधर मंदार कमरे में बैठा मोबाइल पर इमोशनल मैसेज टाइप करने लगा, अभी पंद्रह सेकंड भी नहीं बीते होंगे मैसेज भेजे कि तपाक से जवाब आ गया| लगा जैसे उधर डॉली भी मैसेज का इंतज़ार में ही बैठी थी| फिर क्या मंदार मैसेज भेजता और पलटते ही जवाब आ जाता, सिलसिला खीचने लगा|“अरे ग्लास खाली है मंदार....क्या हुआ? कहाँ खो गए?” दिवाकर कमरे में दाखिल होते हुए बोले| हाथ में एक प्लेट थी जिसमे कुछ कच्चे और कुछ