बकरा

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'दादाजी एक कहानी सुनाओ न...प्लीज़,बहुत दिन हो गए आपसे कहानी सुने हुए।' कीर्ति बोली। 'बाद में बेटा ,अभी नहीं!' रामावतार व्यस्त था सो बोला। 'अच्छा दादाजी ,आपका एक पैर का क्या हुआ?भेड़िया खा गया?बताओ न दादाजी ? कैसा था भेड़िया?मैं बड़ा होउंगी न तो उस भेड़िये को मार डालूंगी।' कीर्ति अब भी जिद पर अड़ी थी। 'आज शाम में बताऊंगा ,बेटा ।अभी दादाजी काम कर रहे हैं न! मेरी रानी बेटी ,सब समझती है ! जाओ अभी सो जाओ!' रामावतार अपनी व्यस्तता छोड़ नज़र उठाते हुए और कीर्ति को पुचकारते हुए बोला। 'ओके ,दादाजी !लेकिन एक प्रॉमिस कीजिये कि आज