उत्तरकथा अर्थात तुम कहीं नहीं हो .... शेखर !!

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उत्तरकथा अर्थात तुम कहीं नहीं हो .... शेखर !! “पहला प्यार जैसे महकी बयार.... पहला प्यार लाए जीवन मे बहार....पहला प्यार....”. जब कभी टेलीविजन खोलती हूँ तो किसी साबुन के विज्ञापन में ये जिंगल्स अकसर सुनाई पड़ते हैं. बहरहाल प्यार और साबुन का आपस में क्या रिश्ता है, यह यह मेरे लिए जिज्ञासा का विषय है. मैं अकसर यह भी सोचती हूँ कि प्रथम प्रेम को क्या तत्क्षण अनुभूत किया जा सकता है. अगर अपने तज़ुर्बे से मैं कहूँ तो पहला प्यार एक ऐसी अगरबत्ती है जिसकी मुलायम खुशबू को हम तब महसूस करते हैं जब अगरबत्ती को जल कर