भाग 2/14: मज़ाक है क्या...अब तक दिवाकर खुलने लगे थे, तो बोले, “ऐसी बात नहीं है, जब हम ग्रेजुएशन में जयपुर थे तो....”| “बस!!” मंदार बीच में ही बात कटते हुए बोला| “बस, हम जानते थे, ये देखिए, हम पूरी व्यवस्था से आए हैं| अरे बड़े-बाबू का जनमदिन है मज़ाक है क्या.....ये बताइए, रम चल जाएगी ना...वरना कुछ और ले कर आएं|”“अरे ये सब क्या है मंदार...बहुत साल हो गए....इसकी क्या ज़रुरत थी|” दिवाकर संकोचते हुए बोले|“कुछ नहीं बड़े-बाबू, अपने घर से इतना दूर रह रहे हैं, वो भी अकेले....अरे जनमदिन है आपका....आज तो बनती है..मना मत कीजिएगा|” मंदार जोर