मनकी अभी भी थिरक रही थी.योका का बाण धनुष से निकले उससे पहले ही जंजीर में बंधा युवक चीख उठा-"न..हीं..." यह आवाज ही योका को विचलित करने के लिए काफी थी.उसने धनुष एक ओर फेंक दिया. वह चीख उठा -"मैं हत्या नहीं करूंगा.... मैं हत्या नहीं करुंगा." इसके साथ ही जंगली युवतियां योका पर कोड़े लेकर टूट पड़ी. योका जमीन पर गिर पड़ा. मनकी के थिरकते पांव रूक गये. उसकी आँखें आँसुओं से भीग गईं. जंजीर से बंधा युवक आश्चर्य से यह दृश्य देख रहा था. सरदार और तन्वी के चेहरे बेबसी से मुरझाए हुए थे.नूपुर कुछ हक्की-बक्की सी खड़ी