स्त्री सशक्तिकरण

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कहानी मॉल रह-रहकर बच्चे का चेहरा उसकी आँखों के सामने आ रहा था। कैसे वह दुपट्टे को पकड़कर उससे रुकने का आग्रह कर रहा था। उम्र ही क्या है उसकी ... अभी वो ढाई साल का ही तो है। इस उम्र में तो वैसे भी बच्चे माँ का सान्निध्य चाहते हैं तिस पर वो बीमार भी है। उसकी ममता बेबस हो रही थी। उसका मन कर रहा था कि एक झटके में नौकरी छोड़ दे पर....पति को जब तक नौकरी नहीं मिलती उसकी मजबूरी है कि वो इस नौकरी को करती रहे। ‘‘संध्या...! ’’ रुको मैं भी आ रही