यारबाज़ विक्रम सिंह (12) वापस आते ही पापा मुझे समझाने लगे कि बेटा अब अच्छी तरह पढ़ना। ग्रेजुएशन में भी अच्छे नंबर आने चाहिए तभी कोई नौकरी होगी वरना कुछ नहीं होगा। अब सब कुछ भूल कर पढ़ाई लिखाई में ध्यान दे दो। सिर्फ पापा ही नहीं कुछ ऐसा ही मेरी प्रेमिका बबनी ने भी मुझसे कहा फिर प्रेमिका के बात का असर ज्यादा हुआ। मेरी दिनचर्या वैसे ही हो गई थी कॉलेज ट्यूशन से आकर घर में दिनभर किताब लेकर पढ़ना। सही मायने में श्याम के गांव से वापस आने के बाद मुझे यह लगने लगा था कि अब