कोई नाम न दो

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बेटी से बात करके शिवानी के हृदय में ममत्व का सागर सा उमड़ने लगा। दो साल गुज़र गए थे उसे देखे हुए। जबसे दामाद का सिंगापुर की ब्रांच में तबादला हुआ था अब तक भारत आने का समय नही निकाल पाए थे। अक्सर वीडियो कॉलिंग करके ही वे अपना मन तृप्त करने की कोशिश करतीं। अब बहुत अकेलापन लगने लगा था उन्हें। उनके पति अनिमेष अपनी ही दुनिया मे मग्न रहते। देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार थे। यद्यपि वह अपनी व्यस्त दिनचर्या में से थोड़ा समय अपनी सहचरी के लिए अवश्य रखते थे, परन्तु इससे शिवानी के मन का खालीपन उतना