ये कहानी है तीन साल पेहले की 2017 की... यायावर चला था एक नये सफ़र मे जिसकी दास्ता आपको बतानी है... गुजरात कि एक लडकी निकली थी अपने माता-पिता के साथ,दो बस्ते लिए हाथ, रैल थी यशवंन्त पुरम एक्स्प्रेस रंग था जिस्का गेहरा केसरिया... आओ इस कहानी का आगज़ करते है ,कुछ मेरे अलगारी सफ़र कि बात करते है... आज से 3 साल पेहले मे मेरे माता-पिता के साथ दक्षिण भारत घूमने गई थी तेय थी तो सिर्फ़ आने ओर जाने कि टिकटे, कहा रुकना है कहा जाना है, कहा क्या खाना है, कुछ भि तेय नही... बस निकल पडे थे