महाकवि भवभूति - 4

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महाकवि भवभूति 4 कांतिमय गुरुकुल विद्याविहार भोर का तारा उदय हुआ। भवभूति अपने साथियों के साथ नवचौकिया (नौचंकी) के पास स्नान करने पहँुच जाते। इसी स्थान पर जल ऊपर से नीचे गिरता है। धुआंधार का मनोरम दृश्य देखकर सहृदय जन भाव विभोर हुये बिना नहीं रह सकते। वर्षा के मौसम मैं यहाँ खड़े होकर इन्द्रधनुष के दर्शन भी किए जा सकते हैं। ऐसे मनोहारी दृश्य का आनन्द लेने के बाद सभी भगवान कालप्रियनाथ के मंदिर पहुँच जाते। वे धारणा-ध्यान की साधना में लग जाते। इस तरह मंदिर के गर्भगृह में उनका यह कार्य दो-तीन घड़ी तक