मन की साध

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मन की साध शालिनी बेसब्री से दरवाजे पर टकटकी लगाये देख रही थी। हर आहट पर उसकी नजरें उठ जातीं और हृदयगति तीब्र हो जातीं । वह आँगन में बैठी सब्जी काट रही थी । व्यग्रता बढ़ते ही उसके हाथ भी तेजी से चलने लगते । आज उसके हृदय में एक नयी उमंग थी । बगल वाले मकान में रहने वाले संदीप भैया आज अपने साथ नववधू जो लेकर आने वाले थे। परकोटे के अन्दर एक तरह का बाड़ा है जिसमें चार पाँच किरायदारों के लिए पोर्शन बने हुए हैं । शालिनी के बगल वाला मकान संदीप