कर्म की गति न्यारी कभी कोई राजा तो कोई भिखारी

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आजकल देखा जा रहा है कि लोग वेवजह के अपना धन बर्वाद करने में लगे हुवे है।कुछ लोग तो धनी होते हुवे भी निर्धन हो जा रहे हैं। तो कुछ लोग निर्धन होने के कारण कुपोषण का शिकार हो रहे हैं।इसी पे आधारित आज आप लोगो के लिए एक कहानी लेकर आया हु । ए कहानी एक डॉक्टर साहब और एक किसान के ऊपर मैंने लिखा है। इस कहानी में ये दरसाया गया है की मन में अगर चाह हो तो राह अपने आप बन ही जाता है और मन से अगर गरीब है तो धन से गरीब होने में