कहानी आधार शिला /सुधा भार्गव नारी के संघर्ष की अनूठी कहानी जिसे एक ही धुन थी शिक्षित होकर उसके प्रसारण से ज्ञानोदय –भाग्योदय करे । सुखिया जिस दिन से ससुराल आई ,सुख ही सुख बरसने लगा ।इतना सुख की लोगों की आँखों में खटकने लगा । सुबह से शाम तक जी तोड़ मेहनत करती ,सास ससुर की सेवा कर अपने को धन्य समझती । गाँव के मुखिया की बेटी होते हुए भी न खाने का नखरा न पहनने का । सलीके से रखे घर को देखते ही उसकी सुघडता का परिचय मिल जाता ।