यारबाज़ - 9

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यारबाज़ विक्रम सिंह (9) हमारी कॉलोनी से थोड़ी दूर रास्ते के पास एक छोटा सा टेलीफोन बूथ था उस टेलीफोन बूथ को दरअसल एक बेरोजगार लड़के ने खोल रखा था और वह एक पैर से अपाहिज था और उसका एक पैर नकली था। जब बूथ में। बैठा होता था तो वह अपने नकली पैर को खोल कर रख देता था। ठीक वैसे ही जैसे हम जूते खोल कर रख देते है। आप सब सोचते होगे कि कॉलोनी की चाय दुकान का भी पैर पुलियो लगा हुआ था। टेलीफोन बूथ वाले का भी पैर नहीं है। अगर आप ऐसा सोच रहे है तो गलत