यूं तो पर्यावरण के तहत पेड़ॊं का संरक्षण व उनकी समुचित देखभाल की जाती है। कानून भी है कि कोई व्यक्ति बिना अनुमति के अपने वृक्ष भी नहीं काट सकता।परंतु वृक्षों का संबंध हमसे और हमारे परिवेश से, मात्र सरकारी आदेशों तक ही सीमित नहीं है बल्कि उससे बहुत आगे परंपराओं व मान्यताओं तक जाता है। मेरा कस्बा नाहर गंज,जिसे कि गांव का अर्धविकसित संस्करण कह सकते हैं,शहर से लगा हुआ ,कुछ कुछ शहरी हवा में सांस लेता,एक सामान्य सी जगह है। प्राय: सभी बच्चे स्कूल जाते हैं। कुछ मिड डे मील के लोभ से और जो थोड़े से संपन्न